उत्तर प्रदेश के बलात्कार की घटना को लेकर इस बार आदिवासी सामाजिक संगठनों को सड़कों पर उतरते ।
उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना को लेकर इस बार आदिवासी सामाजिक संगठनों को सड़कों पर उतरत गाए । आज, 5 अक्टूबर को, भारत ज़कात मझि परगना महल की ओर से एक विरोध जुलूस रास्ते पर निकाल आए। यह पता चला है कि अविभाजित मिदनापुर जिले में उसी दिन चार स्थानों पर विरोध जुलूस आयोजित किया गया था। इस दिन, संगठन ने सबंग घाटल दांतन और चंद्रकोना रोड पर विरोध जुलूस का आह्वान किया गया था। संगठन ने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में जिस तरह से मनीषा और उनके परिवार के साथ व्यवहार किया है, उसकी कड़ी निंदा की है।
संगठन ने मांग की कि मनीषा का शव परिवार को नहीं सौंपा कियू नहीं गया था? प्रशासन ने सुबह दो बजे पेट्रोल क्यों डाला और मनीषा का शव क्यों जलाया? मनीषा परिवारों को प्रशासन और सरकार द्वारा बार-बार धमकी क्यों दी जा रही है और आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है? उस दिन संगठन की इन सभी विभिन्न मांगों के आधार पर ताकि सीबीआई की उचित जांच की जा सके। और दोषियों की पहचान कर उन्हें कियू नहीं फांसी दी गई।
इस दिन, संगठन द्वारा सभी जगहों पर विरोध जुलूस निकाला गया था। उन सभी जगहों पर, संगठन ने पहले रैलियों के रूप में विरोध किया गया। जुलूस के अंत में आदित्यनाथ योगी का पुतला को जलाया गया। आज उत्तर प्रदेश में आदिवासी दलितों के ने ऐसा ही किया । राज्य सरकार को यह भी चेतावनी दी गई कि राज्य में घटना को दुबारा दोहराया नहीं होना चाहिए। यदि इस राज्य में फिर से वही बात होती है, तो संगठन यह भी चेतावनी देता है कि आदिवासी लोग एक बड़े आंदोलन के माध्यम से सड़कों पर उतरेंगे।
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