फिर से आई बड़ी दुख खबर पद्मश्री प्रो. दिगम्बर हांसदा अब हमारे बीच नहीं....

Padma-shri-digambar-hansda-Has-died
जमशेदपुर:- पद्मश्री प्रो. दिगम्बर हांसदा का निधन,आदिवासी साहित्य जगत के लिए अपूर्ण क्षति एवं आदिवासी समाज को एक मार्गदर्शक व अभिभावक की कमी हमेशा खलेगी,आदिवासी समाज में शोक की लहर!

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 26 जनवरी 2018 को भारत के 69 वें गणतंत्र दिवस पर, प्रोफेसर दिगंबर हांसदा को साहित्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए भारत पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था ।दिगंबर हांसदा ने करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में भी कार्य किया थे।

16 अक्टूबर, 1939 को घाटशिला ब्लॉक के डोभापानी गाँव में एक किसान परिवार में जन्मे हांसदा ने अपना जीवन संथाली साहित्य के प्रचार और आदिवासी युवाओं के बीच शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया है, लेकिन उन्हें लगता है कि अभी भी उनके पास बहुत काम है। "मैं खुश हूं लेकिन यह अंत नहीं है। ऐसा करने के लिए बहुत कुछ है। मुझे अभी भी लगता है कि आदिवासी युवाओं को शिक्षा के महत्व को समझने की जरूरत है," उन्होंने कहा।

उनका यह विचार आदिवासी समाज को हमेशा याद आएगी। 

दिगम्बर अपने जीवन काल में संताल समाज ओर संताली युवा पीढ़ी के लिए बोहत कुछ किए है। संताल अखाड़ा टीम से उनके मन के संती के लिए कामना कर ते है।।

Comments

Popular posts from this blog

छत्तीसगढ़ में आदिवासी जीवन को बदलने वाली सरकार की कुछ अच्छी नीतियां...

lipsa Hembram Tribal Threads of tradition