परगना महल ने 15 दिसंबर को बांकुरा जिला डीएम की प्रतिनियुक्ति में लाखों लोगों को इकट्ठा करने का अवोहन की है...

संताली माध्यम में प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय तक, पाठ्यपुस्तकों को शिक्षक द्वारा पढ़ने की संरचना के साथ प्रदान किया जाना चाहिए। फेक एसटी सर्टिफिकेट को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए और आरोपी को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। आदिवासी छात्रावास (hostel) जो बंद कर दिए गए हैं, उन्हें फिर से खोलना होगा। केवल नायके को ही भत्ता नहीं, बल्कि विशिष्ट सरकारी दिशा-निर्देश जारी करके माजि जा-मजी, गादेट पारीनीक, नायक सहित पांच लोगों को भी भत्ता देना होगा। ओर उसके साथ जाहेर पट्टा भी देना होगा। संताली द्वारा जंगलों, सड़क निर्माण और अन्य गतिविधियों पर जबर्जस्ती कब्जा नहीं किया जाना चाहिए। 25 ऐसी मांगों के साथ भारत जकात परगना महल की बांकुरा जिला समिति के आह्वान पर बांकुरा के डीएम को प्रतिनियुक्ति दी गई है। तारीख 45 दिसंबर, मंगलवार तय की गई है। कमिटी बैठक के स्थान निर्धारित की गई है, बांकुरा शहर में तमलीबांध बस स्टैंड में की गई है। समय सुबह 10 बजे का है। 


बांकुड़ा के जिला परगना गेरछाड़ मुर्मू, भारत ज़कात मजी परगना महल की जिला समिति, जिला गादेट बिप्लब सरन और जिला पारीक सैन गिरी हेम्ब्रम ने एक संदेश में कहा, आज, 21 वीं सदी के मध्य में, यह विचार करने का समय है कि क्या भारत, मानव सभ्यता का अवतार, और दुनिया की सभी संथाल जनजातियाँ जीवित रह पाएंगी ? क्या उनकी भाषा, संस्कृति और धर्म दुनिया के दरबार में आसानी से स्थापित हो जाएंगे, या वे वैश्वीकरण के भंवर में खो जाएंगे? क्या वे सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर काबू पाने के साथ समय के साथ तालमेल बनाए रख पाएंगे या फिर उन्हें हमेशा के लिए सस्ते वैट बैंक की तरह डूब जाएगा ?



भारत और विश्व के आदिम संताल और सभी आदिवासी लोग अभी भी उत्पीड़ित और वंचित हैं। आज भी, प्रौद्योगिकी के इस युग में, उनके सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे की आधारशिला में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है। आज अनियोजित औद्योगीकरण और शहरीकरण के परिणामस्वरूप, आदिवासी बेदखली की दर्दनाक कहानी लिखी जा रही है। वे आज भी मातृ वन के अधिकार से वंचित हैं। संविधान में निहित स्वदेशी लोगों के लिए विभिन्न अवसरों और लाभों को समाप्त करने के लिए खेल शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल में इस अवधि के दौरान, हमने देखा है कि हवा में सबसे अधिक तबाह संथाल जनजाति तथाकथित विकास तूफान हैं। यद्यपि तथाकथित मूल्यवर्धित राजनेताओं की आवाज़ में संथालों का विकास प्रतिध्वनित होता है, फिर भी वे वंचित और छले जाते हैं। पूरे पश्चिम बंगाल में नकली एसटी प्रमाण पत्र अभी भी व्याप्त हैं। राज्य भर में छात्रावास प्रणाली आज ध्वस्त हो गई है। नायक को भत्ता देने के नाम पर संथाल सामाजिक बुनियादी ढांचे में भ्रम फैल गया है। संताली के माध्यम से, शिक्षा प्रणाली उथल-पुथल की स्थिति में है। इन सब को समाधान को लेकर 15 दिसंबर को एक महार्तपुर्ण बैठक होने वाला है । इन बैठक में भारत के सारे आदिवासियों को इकठ्ठा होने के लिए निमंत्रण क़िया गया है।



Comments

Popular posts from this blog

lipsa Hembram Tribal Threads of tradition

लगातार सातवें दिन, 4,500 मुकुट संक्रमित हुए। एक ही दिन में 300 से ज्यादा मौतें हुईं

छत्तीसगढ़ में आदिवासी जीवन को बदलने वाली सरकार की कुछ अच्छी नीतियां...