आदिवासी Ol-CHIKI भाषा को विकास में संताली समाज दे अपना योगदान..
जमशेदपुर:- दिशोम जाहेर करनडीह में जाहेर थान कमेटी, करनडीह की ओर से 17वां संताली भाषा दिवस समारोह मनाया गया। समारोह का शुभारंभ संताली भाषा साहित्य के प्रारंभिक साहित्यकारों पं. रघुनाथ मुर्मू, साधू रामचंद मुर्मू एवं रामदास टुडू 'रासका' के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। सभा की अध्यक्षता जाहेर थान कमेंटी के अध्यक्ष सीआर मांझी ने किया। सभा का संचालन वीर प्रताप मुर्मू ने किया तथा स्वागत भाषण रवींद्र नाथ मुर्मू ने किया।
सीआर माझी ने कहा कि संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने से विकसित भाषा के सामान दर्जा प्राप्त हुआ। यह संताली साहित्य के लिए गौरव की बात है। अब हमारा दायित्व बनता है इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने का। ट्राइबल कल्चरल सोसाइटी के शिव शंकर कांडयोंग ने कहा कि जाहेर थान कमेटी पिछले कई वर्षों से ओलचिकि लिपि और संताली भाषा साहित्य के विकास लिए निरंतर प्रयासरत है, जो सराहनीय कदम है। इंटरनेशनल संताल काउंसिल के महासचिव कुशल हांसदा ने कहा कि भाषा के विकास के लिए साहित्य का सृजन करना आवश्यक है। जाहेर थान कमेटी के महासचिव बुधान माझी ने कहा कि भाषा ही एक माध्यम है जिसके माध्यम से साहित्य का विकास हो सकता है और साहित्य ही समाज की हर गतिवधि को संजोए रखता है। समारोह को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता श्याम सी. टुडू, साहित्य अकादमी बाल साहित्य विजेत्री जोबा मुर्मू, जाहेर थान कमेटी के सह सचिव गणेश टुडू, घासीराम मुर्मू, रवि लोचन हांसदा आदि ने संबोधित किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से रामचंद्र मुर्मू, करण सोरेन, डोमन टुडू, करणा मुर्मू, कुषा सोरेन, सलखान मुर्मू, नारान हेम्ब्रोम, देवगी मुर्मू, लाखिया टुडू, उपेंद्र मुर्मू, बबली मुर्मू, प्रमिला किस्कू, दशरथ टुडू एवं गोयाबली मुर्मू आदि उपस्थित थे। संताली भाषा एवं ओलचिकि लिपि की छात्रा दीपा सरदार, राजलक्ष्मी माझी आदि ने संताली कविता कविता पाठ किया। इस कार्यक्रम को आनलाइन भी प्रसारण किया गया।
Comments
Post a Comment