सरना धर्म कोड बिना आदिवासी का अस्थितिया संकट मैं


केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सुलखान मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए सरना धर्म कोड आवश्यक है।




केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सुलखान मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए सरना धर्म कोड आवश्यक है। आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से चरणबद्ध आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। 12 फरवरी शुक्रवार को गोमिया प्रखंड के खम्हरा पंचायत सचिवालय परिसर में जनसभा को संबोधित कर रहे थे।





आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू कहा कि देश की आजादी के बाद एकीकृत बिहार राज्य में आदिवासियों की कुल जनसंख्या 70 प्रतिशत थी, लेकिन झारखंड राज्य बनने के बाद इस सूबे में वर्तमान में आदिवासियों की संख्या घटकर मात्र 25 फीसद ही रह गई है, जो चिंता का विषय है। अभी सारे आदिवासी एक जुट हो कर सरना धर्म कोड लागू करने को राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलित होना होगा, अन्यथा आदिवासियों का देश से नामोनिशान मिट जाएगा ओह दिन दूर नही।





सालखान मुर्मू ने कहा राज्य और केंद्र स्तर पर उच्च पदों पर आसीन आदिवासी लोगों के नेताओं, सांसदों, विधायकों और मंत्रियों ने चुनाव जीतने के बाद सरना धर्म कोड के प्रति संवेदनशील नहीं कर रही है, जिसके कारण सरना धर्म कोड को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है।





अभी सरना धर्मकोड को लागू करने कराने के लिए जल्दी ही जोरदार आंदोलन किया जाएगा। जिसमें सभी आदिवासी, संथाली, मुंडा, उरांव आदि को अपनी भागीदारी करनी होगी। आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, गोमिया प्रखंड अध्यक्ष सुशील मांझी, खम्हरा पंचायत के पूर्व मुखिया बंटी उरांव एवं गोमिया प्रखंड की पूर्व प्रमुख कांति उरांव सहित अविनाश मुर्मू, ललिता सुरीन, उलेश्वरी हेम्ब्रम, सुरेश कुमार टुडू आदि ने भी इस अधोलों को संबोधित किया। इस बैठक पर सारे आदिवासी महिला पुरुष भी उपस्थित थे।






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