जमशेदपुर के करनडीह गांव में बड़ी धूम धाम से मनाया गया वहां परब


जमशेदपुर के करनडीह आदिवासी गांव के जाहेरथान कमेटी की ओर से दिशोम जाहर में 'disom baha bonga -2021' धूमधाम से मनाया गया है। जिसमें झारखंड सरकार के आदिम जाति कल्याण और परिवहन विभाग के मंत्री चंपई सोरेन भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।





इस अवसर पर अपने संबोधन में चंपई सोरेन ने कहा कि बहा त्योहार आदिवासियों का एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार नए मौसम के आगमन का संदेश देता है। आदिवासी प्रकृति पूजक हैं। वे जल वन भूमि की पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि दिशोम जहर करनडीह का सौंदर्यीकरण बहुत जल्द किया जाएगा।





पूजा की सुरु सुबह 7.30 बजे , दिशोम जाहर करनडीह के नायक बाबा दीपक सोरेन अपने निवास स्थान करनडीह से दिशोम ज़हीर के लिए एक पुरुष-महिला नृत्य लेकर आए। उन्होंने समाज की सुख-शांति के लिए पूजा की।





बाहा पूजा के अवसर पर साल वृक्ष व महुआ फूल का अर्पण किया गया ।गांव के नायके बाबा ने उपस्थित सभी स्त्री पुरुष को महुआ का फूल को लगाने के लिए दिया। पुरुषों ने महुआ फूल को कानों में लगाया और महुआ फूल को स्त्रियों ने उसे अपने बालों में लगाया ।





जमशेदपुर के करनडीह आदिवासी गांव के जाहेरथान कमेटी की ओर से दिशोम जाहर में 'disom baha bonga -2021' धूमधाम से मनाया गया है। जिसमें झारखंड सरकार के आदिम जाति कल्याण और परिवहन विभाग के मंत्री चंपई सोरेन भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।




बाहा बोंगा का दूसरा दिन नायके दीपक सोरेन के नेतृत्व में बाहा शिकार तथा धनुष प्रत्यंचा उतारने की परंपरा को संपन्न किया गया। बाहा शिकार के लिए नायके बाबा के साथ पुरुष वृंद गाजे-बाजे, तीर-धनुष तथा पारंपरिक हथियार के साथ जाहेरथान के परिसर तक आए तथा सांकेतिक शिकार स्वरूप मुर्गा का शिकार किया गया, जिसे सभी उपस्थित लोगों ने नायके के घर में खिचड़ी(sim sole) बनाकर खाया । बाहा बोंगा के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मंगल सोरेन (सीनियर लॉ आफिसर, प. बंगाल) और देवदुलाल मुर्मू (कोलकाता नगर पारगना) उपस्थित थे।





समारोह के प्रारंभ में जाहेरथान कमेटी के अध्यक्ष सीआर माझी ने स्वागत भाषण दिया, जबकि सलाहकार नरेश कुमार मुर्मू ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जाहेरथान कमेटी के महासचिव बुढान माझी, उपाध्यक्ष छुटाई सोरेन, कोषाध्यक्ष वीर प्रताप मुर्मू, सचिव रवींद्रनाथ मुर्मू, सहायक सचिव गणेश टुडू, छोटो सोरेन, सहायक सचिव बाबुराम सोरेन, कुशाल हांसदा, करण सोरेन, ताला टुडू, रामचंद्र मुर्मू, सालखान मुर्मू, लेदेम मार्डी आदि थे।


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